5 Simple Statements About Shodashi Explained

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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।

The impression was carved from Kasti stone, a uncommon reddish-black finely grained stone utilized to trend sacred photos. It was introduced from Chittagong in current working day Bangladesh.

॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥

संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

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गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

Sati was reborn as Parvati to the mountain king Himavat and his wife. There was a rival of gods named Tarakasura who might be slain only by the son Shiva and Parvati.

Goddess Tripura Sundari is additionally depicted for a maiden sporting fantastic scarlet habiliments, dim and long hair flows and is completely adorned with jewels and garlands.

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

देवीं more info कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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